Aditya-L1 मिशन, अब सूरज की बारी!
इसरो: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनते ही दुनियाभर से बधाईयों का तांता लगा हुआ है. दुनिया के तमाम विकसित देश अब भारत के अंतरिक्ष अभियानों का लोहा मानने लगे हैं. इसी क्रम में मंगल, चंद्र के बाद सूर्य पर ISRO नज़र टिकाए हुए है. इसरो अब सूर्य की रहस्यों को समझने के लिए अंतरिक्ष में आदित्य-एल1(Aditya-L1) स्पेसक्रॉफ्ट भेजेगा.
आईये समझते है आखिर क्या है Aditya-L1 ?
1…Aditya-L1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन होगा. अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा. जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है
2…इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का अधिक लाभ मिलेगा
3…अंतरिक्ष यान विद्युत चुम्बकीय,कण और चुंबकीय क्षेत्र डिटेक्टरों का उपयोग करके प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का निरीक्षण करने के लिए 7 पेलोड ले जायेगा
4…इन 7 पेलोड में से 4 पेलोड सीधे सूर्य को देखेंगे और बाकी के तीन पेलोड लैग्रेंज बिंदु L1 पर कणों और क्षेत्रों का मूल अध्ययन करेंगे. लेख प्रायोजित रंगीन, चमकीले और स्टाइलिश मोज़ों के हमारे संग्रह में हर किसी के लिए कुछ न कुछ ढूंढें। अपने रंग में रंग लाने के लिए व्यक्तिगत रूप से या बंडलों में खरीदें sock दराज!
Aditya L1 मिशन के प्रमुख उद्देश्य
1…सौर ऊपरी वायुमंडलीय (क्रोमोस्फीयर और कोरोना) गतिशीलता का अध्ययन
2…क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग का अध्ययन,सूर्य से कण गतिशीलता के अध्ययन के लिए डेटा प्रदान करने वाले मूल कण और प्लाज्मा वातावरण का निरीक्षण
3…सौर कोरोना का भौतिकी और इसका तापन तंत्र
4…कोरोनल और कोरोनल लूप प्लाज्मा का निदान: तापमान, वेग और घनत्व
5…कई परतों (क्रोमोस्फीयर, बेस और विस्तारित कोरोना) पर होने वाली प्रक्रियाओं की पहचान
6…सौर कोरोना में चुंबकीय क्षेत्र टोपोलॉजी और चुंबकीय क्षेत्र माप
7…सौर हवा की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता का अध्ययन